शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक बच्चा शिक्षक की मदद से अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाता है। यह कक्षा के निर्देशों में उपयोग किए जाने वाले सामान्य सिद्धांतों, अध्यापन और प्रबंधन दृष्टिकोण का एक तरीका है। शिक्षण छात्रों की भावना, सोच और कार्य को संशोधित करता है।

शिक्षण की परिभाषा:

क्लार्क के अनुसार, "शिक्षण उन गतिविधियों को संदर्भित करता है जिन्हें छात्र के व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु डिजाइन और प्रदर्शित किया जाता है"।

शिक्षण और अधिगम की पद्धतियां
:

शिक्षण के तरीकों का अनुसरण विषय-वस्तु और शिक्षक के व्यवहार के अनुसार किया जाना चाहिए। शिक्षण के चार तरीके हैं जो विषय-वस्तु प्रस्तुत करते हैं:

भाववाहक पद्धति: भाववाहक पद्धति शिक्षण के सभी पहलुओं को शामिल करती है जिसे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान छात्रों को मौखिक रूप से वितरित किया जाता है। इस पद्धति में व्याख्यान पद्धति, चर्चा पद्धति, कहानी कहने का तरीका और अन्य शामिल हैं।

परियोजना पद्धति(Project method) इस पद्धति में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में विषय-वस्‍तु के सभी पहलुओं को करके सीखना शामिल है। इस पद्धति में परियोजना पद्धति, समस्या निवारण पद्धति, पाठ्यपुस्तक पद्धति आदि शामिल हैं।

दृश्‍य पद्धति: इस पद्धति में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में विषय-वस्तु के देखे जा सकने वाले सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। इसमें प्रदर्शन पद्धति, पर्यवेक्षित अध्ययन पद्धति इत्यादि शामिल हैं।

मानसिक पद्धति(Mental Method) इस विधि में विषय-वस्तु के संज्ञानात्मक पहलुओं को शामिल किया गया है। इस पद्धति में विवेचनात्‍मक, निगमनात्‍मक, विश्लेषण, संश्लेषण आदि पद्धतियां शामिल हैं।

शिक्षण की रणनीतियां: शिक्षण रणनीति छात्रों को सामग्री के वांछित पाठ्यक्रम अधिगम में मदद करती है और ये वह तरीका है जिसके द्वारा कक्षा में शिक्षण का उद्देश्य साधित किया जाता है।

शिक्षण रणनीतियों के प्रकार:

शिक्षण रणनीतियां दो प्रकार की हैं, अर्थात्, एकतंत्रीय शिक्षण रणनीति और लोकतंत्रीय शिक्षण रणनीति।

A) एकतंत्रीय शिक्षण रणनीति
:

यह रणनीति शिक्षण के पारंपरिक तरीकों का उपयोग करती है। इस पद्धति में शिक्षक के पास शिक्षण पर पूर्ण नियंत्रण होता है और छात्र को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति नहीं होती है। यह रणनीति चार प्रकार की है:

1. कहानी कहने की पद्धति(Story Method)इस पद्धति के तहत शिक्षक छात्रों को एक कहानी के रूप में सामग्री प्रदान करता है। यह पद्धति छात्र की शब्दावली को बढ़ाती है और उनकी शब्दावली का विस्‍तार करती है। यह पद्धति शिक्षण भाषा और सामाजिक अध्ययन में उपयोगी है।

2. व्‍याख्‍यान पद्धति(Lecture Method)व्याख्यान पद्धति शिक्षण की सबसे पुरानी और एक तरफा संचार पद्धति है तथा बच्चे के संज्ञानात्मक और प्रभावशाली डोमेन को विकसित करने में सहायक है। यह पद्धति नए पाठ को शुरू करने में उपयुक्त है और प्रेजेंटेशन पर बल देती है।

3. प्रदर्शन पद्धति(Display Method) यह पद्धति व्यावहारिक विषय शिक्षण में उपयोगी है जहां सामग्री को केवल प्रदर्शित करके समझा जा सकता है।

4. ट्यूटोरियल पद्धतिइस पद्धति के तहत कक्षा को छात्रों की क्षमताओं के अनुसार समूहों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक समूह को विभिन्न शिक्षकों द्वारा संभाला जाता है। इस पद्धति में छात्रों के पिछले ज्ञान की अनुपस्थिति को शामिल किया जाना चाहिए और प्रत्येक बच्चे को स्‍वयं को पृथक रूप से व्यक्त करने का मौका मिलना चाहिए। यह पद्धति उपचारात्मक शिक्षण का एक प्रकार है और ये प्राकृतिक विज्ञान तथा गणितीय विषयों को पढ़ाने में उपयुक्त हो सकती है।

B) लोकतंत्रीय शिक्षण रणनीति:

इस रणनीति के तहत एक बच्चा शिक्षक के सामने अपने विचारों को व्यक्त करने हेतु स्वतंत्र होता है और शिक्षकों के बीच अधिकतम संवाद होता है। यहां शिक्षक एक मार्गदर्शक या प्रशिक्षक के रूप में कार्य  करता है। यह शिक्षकों के सर्वांगीण विकास में मदद करता है और छात्रों के प्रभावशाली और साथ ही संज्ञानात्मक डोमेन को विकसित करता है। इस रणनीति के तहत छह प्रकार की पद्धतियां शामिल हैं:

1. चर्चा पद्धतिइस पद्धति के तहत छात्रों और शिक्षकों के बीच एक विषय के बारे में मौखिक बातचीत होती है। चर्चा पद्धति सोच और संचार शक्ति को विकसित करती है जिसके परिणामस्वरूप उच्च स्तर के संज्ञानात्मक और प्रभावशाली डोमेन का विकास होता है। यह विधि गणित, कला, संगीत और नृत्य को छोड़कर सभी विषय शिक्षण हेतु अनुकूल है।

2. अनुमानी पद्धति: इस पद्धति के तहत एक शिक्षक छात्र के सामने एक समस्या उठाता है और उसे मार्गदर्शन भी प्रदान करता है। तथा फिर छात्र जांच और अनुसंधान के माध्यम से स्‍व-अध्ययन, स्‍व-अधिगम के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करने के बाद समस्या का समाधान करते हैं।

3. अन्‍वेषण पद्धति: इस पद्धति के तहत छात्र अपने आस-पास के पर्यावरण से अपनी समस्याओं का हल खोजते हैं। वह किसी समस्या का समाधान खोजने में अपने स्‍वयं के अनुभव और पूर्व ज्ञान का उपयोग करता है। यह एक पूछताछ-आधारित अधिगम है।

4. परियोजना पद्धति: इस पद्धति के तहत वास्तविक जीवन अनुभवों से संबंधित एक परियोजना समूह बनाकर छात्रों को सौंपी जाती है। छात्र एक-दूसरे के सहयोग से वास्तविक जीवन की समस्याओं के बारे में सीखते हैं और उन्‍हें हल करते हैं।

5. वार्तालाप गतिविधि पद्धतिइस पद्धति के तहत छात्रों को भूमिका सौंपी जाती हैं और छात्रों को उन भूमिकाओं को अदा करने की अनुमति होती है। यह तकनीक छात्रों को संलग्‍न करने और छात्रों में उच्च सोच को विकसित करने हेतु एक उत्कृष्ट उपकरण है।

6. विचार-मंथन (ब्रेन-स्‍टोरमिंग): यह शिक्षण की एक रचनात्मक पद्धति है जिसके तहत एक विशिष्ट समस्या के समाधान के लिए कई विचार उत्पन्न होते हैं। इस पद्धति का उपयोग प्रभावी रूप से समस्या का मंथन करने हेतु किया जाता है।




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