संवेग Emotion -⬇️⬇️⬇️
➡️ संवेग पद का अंग्रेजी रूपांतर ' Emotion जो लैटिन शब्द ' Emovere ' से बना है । संवेग व्यक्ति की उत्तेजित अवस्था का दूसरा नाम है । 
➡️ गेलडाई ( Geldard ) के अनुसार , “ संवेग क्रियाओं का उत्तेजक है ।" 
➡️ इंगलिश तथा इंगलिश ( English & English ) के अनुसार , " संवेग एक जटिल भाव की अवस्था होती है , जिसमें कुछ खास खास शारीरिक एवं ग्रंथीय क्रियाएँ होती हैं।" ➡️ बेरान , बर्न तथा कटोविज ( Baron , Byrneand Kantowitz ) के अनुसार , " संवेग से तात्पर्य एक ऐसी आत्मनिष्ठ भाव की अवस्था से होता है , जिसमें कुछ शारीरिक उत्तेजना पैदा होती है और जिसमें कुछ खास खास व्यवहार होते है । " 
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संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालक ( EMOTIONALLY EXCEPTIONAL CHILDREN ) ⬇️⬇️⬇️⬇️
संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालक वे हैं जो अपनी भावनाओं और सवेगों पर नियंत्रण नहीं रख पाते । ये बालक प्राय मानसिक अन्तर्द्वन्द्वों में फसे रहते हैं । ये बालक हैं जो प्राय ऐसे परिवारों से आते हैं , जो टूट रहे हैं और जो बच्चों को भावनात्मक सुरक्षा नहीं प्रदान कर पा रहे है । ये बालक प्रेम और स्नेह के भूखे रहते हैं तथा कोई भी इनको आसानी से असामाजिक कार्यों की ओर ले जा सकता है । 
संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालक निम्न प्रकार के हो सकते हैं -⬇️⬇️⬇️
1. व्यवहार विकार युक्त बालक 
2. नशे के आदी बालक । 
संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालकों में निम्नलिखित समस्यायें पायी जाती हैं ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
1. अति सक्रियता ( Hyper Active ) ➡️ प्रायः ये बालक अति सक्रिय होते हैं । किसी कार्य के सामने आते ही बिना कुछ पूर्व विचार किए उसे हाथ में ले लेते हैं और प्राय उसमें असफल हो जाते हैं । 
2. अस्थिरता ( Unstability )➡️  ये बालक अत्यन्त अस्थिर स्वभाव के होते हैं । एक कार्य हाथ में लेकर , उसे पूरा किए बिना ही दूसरा कार्य प्रारम्भ कर देते हैं , फिर उसे भी अधूरा छोड़कर तीसरे कार्य में लग जाते हैं । 
3. आत्मविश्वास की कमी ( Lack of Self -confidance ) ➡️ बार - बार नए कार्यों को अपनाकर तथा उसमें होने वाली बास्बार की असफलताओं से ये अपना आत्मविश्वास खो देते हैं । 
4. निराशावादी एवं अवसादी ( Passimist and Depresionist ) ➡️ बार - बार की असफलता से , जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण अत्यन्त निराशावादी हो जाता है । ये बालक आसानी से अवसाद के शिकार हो जाते हैं ।
संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालकों की मानसिक स्थिति का कारण उनका दोषपूर्ण वातावरण है । इनके वातावरण में सुधार लाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं
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1. विशिष्ट आवासीय विद्यालय ( Residential School ) - ऐसे बालकों को उनके प्रतिकूल वातावरण से हटाकर विशिष्ट विद्यालयों में रखा जाए जो कि आवासीय हों और जहाँ उन्हें स्वस्थ वातावरण प्रदान किया जाए । 
2. व्यवहार - रूपान्तरण तकनीकों का प्रयोग ( Use of Behaviour - Modification Techniques ) विभिन्न प्रकार की तकनीकों का प्रयोग करके इन बालकों के व्यवहार की विकृतियों को दूर किया जा सकता है । इस कार्य के लिए मनोचिकित्सक की आवश्यकता होगी । 
3. चिकित्सा एवं पुनर्वास केन्द्र ( Medical and Rehabilitation Centre ) संवेगात्मक रूप से विशिष्ट बालकों , विशेषकर नशे के आदी बालकों के लिए विशेष केन्द्र हो , जहाँ उनकी चिकित्सा के साथ - साथ उन्हें समाज की मुख्य धारा में फिर से स्थापित करने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाए ।
4. निर्देशन एवं परामर्श ( Guidance and Counselling ) व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने के लिए इनके लिए निर्देशन एवं परामर्श की व्यवस्था की जानी चाहिए । यह कार्य विशेषज्ञों द्वारा किया जाना चाहिए । 
5. अभिभावकों का सहयोग ( Help of Parents ) - इन बालकों के सुधार के लिए जो भी प्रयास किए जाएँगे , वे तब तक प्रभावी सफल नहीं होंगे जब तक उनके अभिभावकों की सहभागिता नहीं होगी । अभिभावकों को भी निर्देशन दिया जा सकता है कि वे अपने व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाएँ , क्योंकि प्रायः माता - पिता समझ नहीं पाते कि उनका कौन सा व्यवहार बच्चे के व्यक्तित्व को ऋणात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है ।
धन्यवाद