विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा Vishisht Avashyakta Wale Bacchon Ki Shiksha
प्रिय पाठकों,
विशेष शिक्षा का पाठ्यक्रम बहुत विस्तृत है लेकिन सी टी ई टी विशेष शिक्षा के कुछ ख़ास क्षेत्रों से ही प्रश्न पूछता है जिसमे शामिल हैं -👇👇👇👇
1. अक्षमता के प्रकार एवं विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा2. समावेशी शिक्षाअक्षमता के प्रकार एवं विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा के प्रकार👇👇👇
अक्षमता के प्रकार Akshamta ke Prakar
1. दृष्टि अक्षमता - दृष्टि अक्षमता को 1961 में अमेरिकन फाउंडेशन ने दृष्टि अक्षमता एवं अलप दृष्टि को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है -
ऐसे बच्चे जिनकी दृष्टि समंजन क्षमता 20/200 स्नेल हो,नेत्रहीन समझे जाते हैं
ऐसे बच्चे जिनकी दृष्टि समंजन क्षमता 20/70 स्नेल तथा 20/200 स्नेल के बीच हो इन्हें कम दिखता है
बच्चों की शिक्षा –इन्हें कक्षा में अगली लाइन में बिठाया जाना चाहिएकक्षा में उचित रौशनी का प्रबंध होआंशिक दृष्टि वाले बच्चों के लिए पुस्तकें मोटे अक्षरों वाली होनी चाहिएबच्चों को पढ़ने के लिए मैग्नीफाइंग ग्लास दिया जा सकता हैब्रेल लिपि का प्रयोग करके इन्हें शिक्षा दी जाए
2. श्रवण अक्षमता - श्रवण शक्ति मौखिक संदेश्वाहकता , अधिगम,मानसिक विकास और भाषा विकास का सबसे सशक्त साधन है श्रवण अक्षमता दो प्रकार की होती है -
पूर्णतया बधिर - एसएस बच्चों का श्रवण क्षय 90 या इससे अधिक डेसिबल स्तर का होता है ऐसे बच्चे श्रवण यंत्र के बिना और श्रवण यंत्र लगाकर भी कुछ नहीं सुन पाते हैं
अलप श्रवण वाले बच्चे –
ऐसे बच्चों में श्रवण यंत्र का उपयोग कर उनके सुनने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाता हैइन्हें पढ़ाने के लिए चिन्ह भाषा का उपयोग करना चाहिएधीरे धीरे बोलना चाहिए ताकि बच्चा ओष्ठ पाठन कर सकेशरीर से विभिन्न गतियाँ करवाकर बधिर बच्चों के सम्प्रेषण को सुधार जा सकता हैऑडियो विसुअल सामग्री का आवश्यकता अनुसार प्रयोग किया जा सकता है
3. मानसिक मंदता - मनुष्य के एक विशिष्ट विशेषता है उसकी बौद्धिक शक्तियां जब यह बौद्धिक क्षमता सामान्य से काम होती है तो इस स्थिति को मानसिक मंदता कहा जाता है बुद्धि को मापने का पैमाना बुद्धि लब्धि है बुद्धि लब्धि के विभिन्न स्तर निम्न प्रकार से हैं
विशिष्ट बच्चों की शिक्षा
Vishisht bacchon Ki Shiksha -
अति गंभीर रूप से मानसिक मंद बच्चे को दैनिक क्रियाकलाप सिखाये जाते हैं जैसे टॉयलेट ब्रशिंग कंघी करना कपडे पहनना आदिइन्हें सामाजिक कौशल जैसे की हाथ मिलाना हाल चाल पूछना त्योहारों आदि से सम्बंधित कार्य करने के लिए प्रेरित किया जाता हैइन्हें अवकाश के समय के कौशल जैसे की गेम्स खेलना संगीत सुनना पढ़ना सिक्के इकठ्ठा करना टी वी देखना आदि सिखाया जाता हैइन्हें गणितीय कौशल भी सिखाया जाता है जैसे गिनती सीखना जोड़ घटना आयतन भर आदि का ज्ञान इन्हें दिया जाता हैध्यान रखे इन्हें पढ़ाने की विधि सामान्य बच्चों की अपेक्षा बहुत भिन्न होती है
4. गामक अक्षमता - गामक अक्षमता में जो शारीरिक क्षति होती है वह प्रायः कंकाल तंत्र से सम्बंधित होती है गामक अक्षमता निम्नलिखित प्रकार की होती है
स्नायुतांत्रिक क्षतिमांसपेशीय एवं हड्डी से सम्बंधित क्षतिजन्मजात विकृति - सामान्य कमी,मादक पदार्थ एवं विष के प्रभाव,दवा आदि के कारण उत्पन्न क्षति
बच्चों की शिक्षा –
इन्हें नियमित कक्षाओं में सामान्य अध्ययन कराना चाहिएविभिन्न सहायक सामग्री इन बच्चों के लिए बहुत सहायक होती है जैसे व्हील चेयरशिक्षक को इनके सामजिक संवेगात्मक और शारीरिक विकास की और भी ध्यान देना चाहिएइन्हें गामक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिएइन्हें सामाजिक कौशल सिखाये जाने चाहिए
5. अधिगम अक्षमता - अधिगम अक्षमता वाले बच्चों में यद्यपि बौद्धिक क्षमता पर्याप्त होती है फिर भी वे कौशलों में पिछड़े रहते हैं इनके शैक्षिक विकास के लिए पढ़ना लिखना स्पष्ट उच्चारण और गणितीय कौशल आवश्यक है इनकी मस्तिष्कीय क्षमता और वास्तविक निष्पादन में बहुत अंतर दिखलाई पड़ता है अधिगम अक्षमता के कारणों की स्पष्ट रूप से पहचान नहीं हो पायी है लेकिन निश्चित रूप से इसमें मस्तिष्क प्रभावित होता है जो किसी एक कारण या एक से अधिक कारणों से भी हो सकता है जो जन्म से पूर्व या जन्म के बाद के भी हो सकते है।
अधिगम अक्षमता के प्रकार Adhigam Akshamta ke Prakar
डिसलेक्सिया -इसमें बच्चे पहली दूसरी कक्षा में ही पढ़ने लिखने जैसे साधारण कौशल को प्राप्त करने में भी कठिनाई महसूस करते हैं इस अक्षमता से ग्रसित छात्र पढ़ नहीं पाते हैं
डिसग्राफिया - इस अक्षमता वाले बच्चे मौखिक जवाब तो ठीक दे देते हैं लेकिन उसे लिख नहीं पाते हैं कुछ अक्षरों को लिखने में वे प्रायः गलती करते हैं जैसे M की जगह W लिखना 6 की जगह 9 लिखना आदिडिस्केलकुलिया - अधिकांश अधिह्गम अक्षमता वाले बच्चे गणितीय क्षमताओं में अयोग्य होते हैं आठ दस वर्ष की मकर के पश्चात भी ये बच्चे गणितीय चिन्हों को ठीक ठीक नहीं पहचान पाते हैं ये बच्चे क्रम का अनुसरण भी नहीं कर पाते हैं और सूत्र को लागू नहीं कर पाते हैं ।
बच्चों की शिक्षा –
इन्हें संसाधन कक्ष उपलब्ध कराने चाहिएइन्हें परामर्श दाता की आवश्यकता होती हैइनमे एक बच्चे को दूसरे बच्चे को पढ़ाने के लिए प्रयोग करें
2. समावेशी शिक्षा - यह आधुनिक समय में शिक्षा के क्षेत्र में मुख्य समस्या है कि सामान्य एवं विशेष बच्चों का शिक्षा में समावेश कैसे किया जाए प्राचीन समय में विशेष बालको(विकलांग बालकों) को शिक्षा एवं समाज दोनों से ही दूर रखा जाता था । विशेष बालक समाजिक भेदभाव सहते हुए आ रहे थे । समाज से इस रूढ़िवादी अवधारणा को दूर करने का एकमात्र सहारा विशेष बालको को काबिल बनाना है जो समावेशी शिक्षा के माध्यम से संभव है । सामाजिक पहुंच और साम्यता का मामला काफी जटिल है। हालांकि, लाभवंचित समूहों जैसे अ.जा., अ.ज.जा., मुस्लिमों, बालिकाओं और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों तथा सामान्य जनसंख्या के बीच औसत नामांकनों के अंतरालों में कमी आई है, ऐतिहासिक दृष्टि से लाभवंचित और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के अधिगम स्तरों, जिनमें सीखने की समझ बहुत कम होती है, में अभी तक बड़ा अंतराल है। व्यापक और बढ़ते हुए अधिगम अंतरालों ने नामांकन क्षेत्र में प्राप्त समानता के लाभों को खतरा पहुंचाया है क्योंकि अधिगम के कम स्तरों वाले बच्चों के पढ़ाई बीच में छोड़कर जाने की संभावना अधिक रहती है। हमें स्त्री-पुरूष और सामाजिक अंतराल कम करने के मौजूदा हस्तक्षेपों की जांच करने तथा प्रभावकारी समावेश के लिए केन्द्रित कार्यनीतियों को पहचानने की आवश्यकता है।
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व
Samaveshi Shiksha ki Avashyakta Evam Mahatva
समावेशी शिक्षा प्रत्येक बच्चे के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ उसकी व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है ।समावेशी शिक्षा अन्य छात्रों को अपनी उम्र के साथ कक्षा के जीवन मैं भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर काम करने हेतु अभिप्रेरित करती हैं ।समावेशी शिक्षा बच्चों को उनके शिक्षा के क्षेत्र मैं और उनके स्थानीय स्कूलों की गतिविधियों मैं उनके माता पिता को भी शामिल करने की वकालत करती हैं ।समावेशी शिक्षा सम्मान और अपनेपन की संस्कृति के साथ साथ व्यक्तिगत मतभेदों को स्वीकार करने के लिए भी अवसर प्रदान करती हैं ।समावेशी शिक्षा अन्य बच्चों अपने स्वयं के व्यक्तिगत आवश्यकताओं और क्षमताओं के साथ प्रत्येक का एक व्यापक विविधता के साथ दोस्ती का विकास करने की क्षमता विकसित करती हैं ।इसप्रकार कुल मिलाकरयह समावेशी शिक्षा समाज के सभी बच्चों को शिक्षा की मुख्य धरा से जोड़ने की बात का समर्थन करती हैं यही सही मायने मैं सर्व शिक्षा जैसे शब्दों का ही रूपांतरित रूप हैं जिसके कई उद्धेषयों मैं से एक उद्द्शय है विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों की शिक्षालेकिन दुर्भाग्यवश हम सब इसके विस्तृत अर्थ को पूर्ण तरीके से समझने की कोशिश न करते हुए इस समावेशी शिक्षा का अर्थ प्रमुखता से केवल विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा से ही लेने लगते हैं जो की सर्वथा ही अनुचित जान पड़ता हैं क्योंकि समावेशी शिक्षा का एक उद्देश्य विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा से हो सकता हैं । इसका सम्पूर्ण उद्देश्य सभी का विकास है ।
धन्यवाद

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