प्रतिभाशाली बालक 

Pratibhashali Balak
👉पॉल विट्टी के अनुसार , " प्रखर बुद्धि बालक वह है जो किसी कार्य को करने के प्रयास में निरन्तर उच्च स्तर बनाये रखता है । "
 👉कॉलसनिक के अनुसार , " वह बालक जो अपनी आयु स्तर के बालकों में किसी योग्यता में अधिक हो और जो हमारे समाज के लिए कुछ महत्वपूर्ण नई देनदे । " 
टरमन के अनुसार , " प्रतिभावान बालक शारीरिक विकास , शैक्षणिक उपलब्धि , बुद्धि और व्यक्तित्व में वरिष्ठ होते हैं । " 👉प्रतिभावान बालकों के अंतर्गत उच्च बुद्धिलब्धि वाले बालक के साथ - साथ वे सभी बालक सम्मिलित होते हैं , जो दूसरे बालकों से किसी भी क्षेत्र में अति वरिष्ठ होते हैं , जैसे — कलावर्ग , साहित्य , काव्य - रचना आदि ।

प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताएँ 
Pratibhashali Balako ki visheshtaen
प्रतिभाशाली बालकों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं 👇👇👇
➡️ प्रतिभाशाली बालकों में सीखने की गति तीव्र एवं शुद्ध होती है तथा स्मरण शक्ति उच्च स्तर की होती है । 
➡️ प्रतिभाशाली बालकों की बुद्धिलब्धि 120 से अधिक होती है। 
➡️ ऐसे बालक अपनी कमियों को स्वयं पहचानते हैं तथा दूसरों के सुझाव आसानी से मान लेते हैं । 
➡️ ऐसे बालकों में सामान्य ज्ञान का स्तर उच्च होता है और शब्दकोश विस्तृत होता है । 
➡️ ऐसे बालकों का शारीरिक , मानसिक एवं भावात्मक विकास अन्य बालकों की अपेक्षा उच्च कोटि का होता है । 
➡️ ऐसे बालकों में सीखने की गति एवं प्रश्नों के उत्तर देने की गति तीव्र होती है 
➡️ ऐसे बालक अधिक महत्वाकांक्षी एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के होते हैं । 
➡️ ऐसे बालक किसी घटना का निरीक्षण बारीकी के साथ करते हैं । 
प्रतिभावान बालकों की पहचान
Pratibhashali Balko ki Pahchan 👇👇👇
प्रतिभावान बालकों की पहचान के लिए अध्यापक निम्नलिखित विधियों का उपयोग कर सकते हैं 
( a ) प्रतिभावान बालकों के व्यक्तित्व के बारे में अध्यापक अन्य व्यक्तियों से भी सूचनाएँ एकत्रित कर सकता है ।
( b ) बुद्धि परीक्षणों के द्वारा प्रतिभावान बालकों की पहचान अध्यापक कर सकते हैं । 
( c ) डी डॉन और कफ ने प्रतिभावान बालक के गुणों की एक ऐसी सूची तैयार की है , जिसके आधार पर प्रतिभावान बालकों का पता लगाया जा सकता है । यह सूची इस प्रकार है ➡️सामान्य बुद्धि का प्रयोग अधिक करते हैं । 
➡️शब्द ज्ञान बहुत विस्तृत होता है । 
➡️मौलिक चिन्तन कर सकते हैं । 
➡️ये स्पष्ट रूप से सोचने , अर्थों को समझने और सम्बन्धों की पहचान करने में श्रेष्ठ होते हैं । 
➡️कठिन कार्यों को आसानी से कर लेते हैं । 
( d ) उपलब्धि परीक्षाओं के द्वारा भी प्रतिभावान बालक की पहचान अध्यापककरते हैं । 
( e ) अभिरुचि परीक्षाओं से भी छात्र की प्रतिभा का अनुमान लगाया जा सकता है ।

प्रतिभावान बालकों की शैक्षिक व्यवस्था 
Pratibhashali Balko ki Shaikshik Vyavasth👇
प्रतिभावान बालकों के लिए कुछ विशेष शिक्षा की आवश्यकता पड़ती है । ये शैक्षिक व्यवस्थाएँ इस प्रकार होनी चाहिए 
( a ) अध्यापकों को चाहिए कि प्रतिभावान बालकों में सृजनात्मक शक्ति का उचित प्रयोग कर उन्हें समाज विरोधी गतिविधि में सम्मिलित नहीं होने दें । ऐसी शिक्षा बालको को प्रदान करनी चाहिए ताकि वे सामाजिक बुराइयों से दूर रह सके । 
( b ) कक्षा में छात्रों को तीव्र प्रोन्नति नहीं प्रदान करना चाहिए । 
( c ) प्रतिभावान बालकों की शिक्षा ऐसे बालकों के ध्यानपूर्वक अध्ययन पर आधारित होना चाहिए । 
( d ) प्रतिभावान बालकों की शिक्षा उसके व्यक्तित्व के सभी पक्षों के विकास पर केन्द्रित होनी चाहिए । प्रतिभावान बालक को सर्वांगीण विकास के लिए अध्यापक को अत्यधिक परिश्रम करने की आवश्यकता होती है । अतः इस कार्य के लिए उसे कक्षा और स्कूल में अधिक सक्रिय रखना चाहिए । 
( e ) प्रतिभावान बालकों को पाठ्यक्रम समझने में सामान्य बालकों से कम समय लगता है । यह बचा हुआ समय उन्हें किसी और कार्य में उपयोग करना चाहिए । 
( f ) प्रतिभावान बालकों को घर के लिए विशेष कार्य दिया जाना चाहिए ताकि वे अपनी प्रतिभा का उचित उपयोग कर सकें । 
( g ) प्रतिभावान बालकों की शिक्षा के लिए और उनमें नेतृत्व विकास के लिए उत्तरदायित्व का कार्य सौंपना चाहिए । सृजनात्मकता ( Creativity ) : " सृजनात्मकता वह अवधारणा है जिसमें उपलब्ध साधनों से नवीन या अनजानी वस्तु , विचार या धारणा को जन्म दिया जाता है । सृजनात्मकता का अर्थ है रचना सम्बन्धी योग्यता नवीन उत्पाद की रचना । मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सृजनात्मक स्थिति अन्वेषणात्मक होती है । "
▶️ रूश ( Rush ) के अनुसार , " सृजनात्मक मौलिकता वास्तव में किसी भी प्रकार की क्रिया में घटित होती है । "