बुद्धि के प्रमुख सिद्धांत ⬇️⬇️⬇️
कुछ मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के स्वरूप से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है , जिनसे बुद्धि के सम्बन्ध में कई प्रकार की महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं , जो निम्न प्रकार हैं । 

बुद्धि का एक कारक सिद्धान्त ⬇️⬇️⬇️
➡️ एक कारक सिद्धान्त का प्रतिपादन बिने ( Binet ) ने किया और इस सिद्धान्त का समर्थन कर इसको आगे बढ़ाने का श्रेय टर्मन , स्टर्न एनिंग्हास जैसे मनोवैज्ञानिकों को है । इन मनोवैज्ञानिकों का मत है बुद्धि एक अविभाज्य इकाई है । 
➡️ स्पष्ट है कि इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि को एक शक्ति या कारक के रूप में माना गया है । 
➡️ इन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार , बुद्धि वह मानसिक शक्ति है , जो व्यक्ति को प्रभावित करती है । के समस्त कार्यों का संचालन करती है तथा व्यक्ति के समस्त व्यवहारों को प्रभावित करती हैं। 

बुद्धि का द्वि - कारक सिद्धान्त कारक ⬇️⬇️⬇️
➡️ इस सिद्धान्त के प्रतिपादक स्पीयरमैन हैं । उनके अनुसार बुद्धि में दो हैं अथवा सभी प्रकार के मानसिक कार्यों में दो प्रकार की मानसिक योग्यताओं की आवश्यकता होती है । प्रथम सामान्य मानसिक योग्यता द्वितीय विशिष्ट मानसिक योग्यता। 
➡️ प्रत्येक व्यक्ति में सामान्य मानसिक योग्यता के अतिरिक्त कुछ - न - कुछ विशिष्ट योग्यताएँ पाई जाती हैं । 
➡️ एक व्यक्ति जितने ही क्षेत्रों अथवा विषयों में कुशल होता है , उसमें उतनी ही विशिष्ट योग्यताएँ पाई जाती हैं । 
➡️ यदि एक व्यक्ति में एक से अधिक विशिष्ट योग्यताएँ हैं , तो इन विशिष्ट योग्यताओं में कोई विशेष सम्बन्ध नहीं पाया जाता है । 
➡️ स्पीयरमैन का यह विचार है कि एक व्यक्ति में सामान्य योग्यता की मात्रा जितनी ही अधिक पाई जाती है , वह उतना ही अधिक बुद्धिमान होता है ।

बुद्धि का बहुकारक सिद्धान्त ⬇️⬇️⬇️
इस सिद्धान्त के मुख्य समर्थक थॉर्नडाइक थे । इस सिद्धान्त के अनुसार , बुद्धि कई तत्त्वों का समूह होती है और प्रत्येक तत्त्व में कोई सूक्ष्म योग्यता निहित होती है । अतः सामान्य बुद्धि नाम की कोई चीज नहीं होती , बल्कि बुद्धि में कई स्वतन्त्र , विशिष्ट योग्यताएँ निहित रहती हैं , जो विभिन्न कार्यों को सम्पादित करती हैं । 
थॉनडाइक ने तीन प्रकार की बुद्धि के बारे में बताया । ये बुद्धि हैं— अमूर्त बुद्धि , सामाजिक बुद्धि तथा यान्त्रिक बुद्धि । 
इसके अतिरिक्त थॉर्नडाइक ने बुद्धि के चार स्वतन्त्र प्रतिमान ( aspects ) दिए हैं 
1. स्तर  स्तर का शाब्दिक अर्थ होता है कि किसी विशेष कठिनाई स्तर का कितना कार्य किसी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है । 
2. परास / सीमा इसका अर्थ है , कार्य की उस विविधता से जो किसी स्तर पर कोई व्यक्ति समस्या का समाधान कर सकता है । 
3. क्षेत्र  क्षेत्र का अभिप्राय है , क्रियाओं की उन कुल संख्याओं से है , जिनका हम समाधान कर सकते हैं । 
4. गति इसका अर्थ कार्य करने की गति है ।

बुद्धि का प्रतिदर्श सिद्धान्त ⬇️⬇️⬇️
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन थॉमसन ने किया था । उसने अपने इस सिद्धान्त का प्रतिपादन स्पीयरमैन के द्वि - कारक सिद्धान्त के विरोध में किया था । 
➡️ थॉमसन ने इस बात का तर्क दिया कि व्यक्ति का बौद्धिक व्यवहार अनेक स्वतन्त्र योग्यताओं पर निर्भर करता है , किन्तु इन स्वतन्त्र योग्यताओं का क्षेत्र सीमित होता है । प्रतिदर्श सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि कई स्वतन्त्र तत्त्वों से बनी होती है । कोई विशिष्ट परीक्षण या विद्यालय सम्बन्धी क्रिया में इनमें से कुछ तत्त्व स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं । यह भी हो सकता है कि दो या अधिक परीक्षाओं में एक ही प्रकार के तत्त्व दिखाई दें तब उनमें एक सामान्य तत्त्व की विद्यमानता मानी जाती है । यह भी सम्भव है कि अन्य परीक्षाओं में विभिन्न तत्त्व दिखाई दें तब उनमें कोई भी तत्त्व सामान्य नहीं होगा और प्रत्येक तत्त्व अपने आप में विशिष्ट होगा ।

बुद्धि का समूह - तत्त्व सिद्धान्त ⬇️⬇️
स्पीयरमैन के सिद्धान्त के विरूद्ध थर्सटन महोदय ने समूह तत्व सिद्धान्त प्रतिपादित किया । 
➡️वे तत्त्व जो प्रतिभात्मक योग्यताओं में तो सामान्य नहीं होते परन्तु कई क्रियाओं में सामान्य होते हैं ,उन्हें समूह - तत्त्व की संज्ञा दी गई है । 
➡️ इस सिद्धान्त समर्थकों में थर्सटन का नाम प्रमुख है । प्रारम्भिक मानसिक योग्यताओं का परीक्षण करते हुए वह इस निष्कर्ष पर पहुँचे थे कि कुछ मानसिक क्रियाओं में एक प्रमुख तत्त्व सामान्य रूप से विद्यमान होता है , जो उन क्रियाओं के कई ग्रुप होते हैं , उनमें अपना एक प्रमुख तत्त्व होता है । . 
➡️ग्रुप तत्त्व सिद्धान्त की सबसे बड़ी कमी यह है कि यह सामान्य तत्त्व की धारणा का खण्डन करता है । 
अन्य मनोवैज्ञानिकों ने भी बुद्धि परीक्षण से सम्बन्धित सिद्धान्त दिये हैं जो कि निम्नलिखित हैं ।
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गिलफोर्ड का बुद्धि सिद्धान्त
 जे.पी. गिलफोर्ड और उसके सहयोगियों ने बुद्धि परीक्षण से सम्बन्धित कई परीक्षणों पर कारक विश्लेषण तकनीक का प्रयोग करते हुए मानव बुद्धि के विभिन्न तत्त्वों या कारकों को प्रकाश में लाने वाला प्रतिमान विकसित किया । इस सिद्धान्त को पदानुक्रमिक सिद्धान्त ( त्रि - आयामी ) भी कहा जाता है । 1. संज्ञान इसका अर्थ होता है , खोज , दोबारा खोज या पहचान की क्षमता इत्यादि । 
2. स्मृति इसका अर्थ होता है , भी संज्ञान में आया है उसे धारण करना 
3. मूल्यांकन इस प्रक्रिया के अन्तर्गत व्यक्ति जो कुछ जानता है वह उसकी स्मृति में रहता है तथा जो कुछ वह मौलिक चिन्तन में निर्मित करता है , उनके परिणामों की अच्छाई , सत्यता , उपयुक्तता के विषय में निर्णय लेता । 
4. अभिसारी चिन्तन के अन्तर्गत व्यक्ति समस्या के ऐसे समाधान पर पहुँचता है , जो परम्परा एवं प्रचलन के अनुसार स्वीकृत एवं सही समझा जाता हो । 
5. अपसारी चिन्तन के अन्तर्गत व्यक्ति विभिन्न दिशाओं , विभिन्न मार्गों से विभिन्नता के साथ समस्या का हल निकालता है तथा व्यक्ति उनके परिणाम की अच्छाई तथा उपयोगिता के सन्दर्भ में निर्णय लेता है । ऑउट ऑफ द बॉक्स चिन्तन इसी के अन्तर्गत आता है ।
हावर्ड गार्डनर का बहु - बुद्धि सिद्धान्त ⬇️⬇️⬇️
हावर्ड गार्डनर महोदय ने 1983 ई . में बुद्धि का एक नवीन सिद्धान्त प्रतिपादित किया , जिसे गार्डनर का बहु - बुद्धि सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है । 
इस सिद्धान्त के अन्तर्गत तीन कारकों पर बल दिया गया है , जो निम्न प्रकार हैं । 
➡️बुद्धि का स्वरूप एकाकी न होकर बहुकारकीय होता है तथा प्रत्येक बुद्धि एक दूसरे से अलग होती है । 
➡️ प्रत्येक ज्ञान / बुद्धि एक - दूसरे से स्वतन्त्र होती है । बुद्धि के विभिन्न प्रकारों में एक - दूसरे के साथ अन्तःक्रिया करने की प्रवृत्ति पाई जाती है । 
➡️ प्रत्येक व्यक्ति में विलक्षण योग्यता होती है । गार्डनर ने आठ प्रकार से बुद्धि का वर्णन किया है , जो निम्न प्रकार है । 1. भाषाई बुद्धि ( Linguistic - Intelligence ) इस प्रकार की बुद्धि से भाषा सम्बन्धी क्षमता का विकास होता है । 
2. तार्किक गणितीय बुद्धि ( Logical Mathematical Intelligence ) बुद्धि का यह अंग तार्किक योग्यता एवं गणितीय कार्यों से सम्बद्ध है । 
3. स्थानिक बुद्धि ( Spatial Intelligence ) इस तरह की बुद्धि का उपयोग अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान , मानसिक कल्पनाओं को चित्र का स्वरूप देने में किया जाता है । 
4. शारीरिक गतिक बुद्धि ( Body Kinesthetic Intelligence ) इस प्रकार की बुद्धि का प्रयोग सूक्ष्म एवं परिष्कृत समन्वय के साथ शारीरिक गति से सम्बन्धित कार्यों में होता है - नृत्य , सर्कस , व्यायाम । 
5. सांगीतिक बुद्धि ( Musical - Intelligence ) इस प्रकार के ज्ञान का उपयोग संगीत के क्षेत्र में होता है । 
6. अन्तः पारस्परिक बुद्धि ( Inter - related Intelligence ) इस प्रकार के ज्ञान का उपयोग सामाजिक व्यवहारों में प्रायः होता है । 
7 . अन्तः वैयक्तिक बुद्धि ( Interpersonal Intelligence ) इस प्रकार की क्षमता को जानना है । बुद्धि का प्रयोग आत्मबोध , पहचान तथा स्वयं की भावनाओं एवं कौशल 
8. नैसर्गिक बुद्धि या प्राकृतिक ( Natural Intelligence ) इस प्रकार के ज्ञान का सम्बन्ध वनस्पति जगत् , पेड़ - पौधे , जीव - जन्तु या प्राणी समूह या प्राकृतिक सौन्दर्य को परखने इत्यादि में होता है ।
बुद्धि का फ्लूइड तथा क्रिस्टलाइज्ड सिद्धान्त⬇️⬇️⬇️
➡️इस सिद्धान्त के प्रतिपादक आर.बी. कैटिल हैं । तरल ( fluid ) बुद्धि कुशलता अथवा केन्द्रीय नाड़ी संस्थान की दी हुई विशेषता वंशानुक्रम कार्य पर आधारित एक सामान्य योग्यता है । यह सामान्य योग्यता संस्कृति से ही प्रभावित नहीं होती , बल्कि नवीन एवं विगत परिस्थितियों से भी प्रभावित होती है । ➡️दूसरी ओर ठोस ( crystallised ) बुद्धि भी एक प्रकार की सामान्य योग्यता है , जो अनुभव , अधिगम तथा वातावरण सम्बन्धी कारकों पर आधारित होती है। 

बुद्धि का राबर्ट स्टर्नबर्ग का त्रिपाचीय सिद्धान्त 
यह सिद्धान्त स्टर्नबर्ग द्वारा प्रतिपादित किया है । स्टर्नबर्ग वह योग्यता है , जिसके अनुरूप व्यक्ति स्वयं को पर्यावरण के अनुकूल बनाता है तथा अपने समाज एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वातावरण के कुछ घटकों का चयन करता है और उन्हें परिवर्तित करता है । राबर्ट स्टर्नबर्ग ने बुद्धि / ज्ञान को तीन भागों में विभाजित किया है । 
1. घटकीय बुद्धि या विश्लेषणात्मक बुद्धि ( Analytical- ' Intelligence ) इस ज्ञान के अन्तर्गत मनुष्य किसी समस्या के निराकरण हेतु प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है । इसके तीन प्रकार हैं । 
( i ) ज्ञानार्जन घटक ( Knowledgeable - component ) इस घटना के द्वारा व्यक्ति सीखता है तथा अनेक कार्यों को करने का तरीका सीखता है । सूचनाओं का संकेतन , संयोजन भी ज्ञानार्जन घटक का महत्त्वपूर्ण अंग है । 
( ii ) अधिघटक या उच्च घटक ( high - component ) इसके अन्तर्गत व्यक्ति योजनाएँ बनाता है । इस घटक के अन्तर्गत व्यक्ति संज्ञानात्मक , प्रक्रियात्मक क्रिया पर नियन्त्रण , निरीक्षण तथा मूल्यांकन करता है । 
( iii ) निष्पादन घटक ( Performance - component ) इसके अन्तर्गत व्यक्ति अपने कार्य का निष्पादन करता है । 
2. आनुभविक बुद्धि ( Empirical Intelligence ) इसके अन्तर्गत व्यक्ति नई समस्या के समाधान हेतु पूर्व अनुभवों का उपयोग करता 
3. व्यावहारिक बुद्धि ( Behaviour Intelligence ) व्यावहारिक बुद्धि क बुद्धि है , जिसके अन्तर्गत व्यक्ति अपने दिन - प्रतिदिन के जीवन में आन वाली वातावरणीय माँगों की समस्या से निपटता है । ऐसी बुद्धि वाले व्यक्ति स्वयं को नवीन वातावरण में आसानी से स्थापित कर लेते हैं ।