मनोविज्ञान और शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन करने वालों ने बहुत पहले से प्रयोग करना आरम्भ कर दिया था और प्रत्येक क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के प्रयोग और परीक्षण हुए । सीखने की क्रिया का भी वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन हुआ और पशुओं के सीखने पर विभिन्न प्रकार अध्ययन व प्रयोग किए गए । इन्हीं प्रयोगों के आधार पर अधिगम के विभिन्न नियम और सिद्धान्त प्रतिपाद किए गए हैं । इन मनोवैज्ञानिकों ने अपने - अपने द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों में अधिगम की प्रक्रिया को अलग - अलग तत्वों का महत्व दिया है ।
सीखने के सिद्धान्त से क्या तात्पर्य है ? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए वैज्ञानिकों ने कहा है कि सीखने के सिद्धान्त से तात्पर्य एक ऐसी सैद्धान्तिक व्याख्या से होता है जिसके द्वारा सीखने की वैज्ञानिक व्याख्या होती है और उस व्याख्या में निम्न तीन प्रश्नों का पर्याप्त उत्तर मिल जाता है
1. व्यक्ति क्यों सीखता है ?
II . व्यक्ति कैसे सीखता है ?
III . व्यक्ति क्या सीखता है ?
किसी संप्रत्यय को स्पष्ट करने के लिए प्रस्तुत व्याख्यात्मक कथन , जो मूर्त प्रयोगों के निष्कर्षो पर आधारित हों , को सिद्धान्त की संज्ञा दी जा सकती है । अधिगम के घटित होने की स्थितियों का मनोवैज्ञानिकों ने वैज्ञानिक पद्धति से निरीक्षण , विश्लेषण तथा संश्लेषण के आधार पर और प्रयोगों के द्वारा अध्ययन कर एक संगठित विचार प्रस्तुत किए हैं , यही अधिगम के सिद्धान्त हैं ।
प्रोफेसर एस . एस . चौहान के अनुसार- “ अधिगम के सिद्धान्त अधिगम की प्रक्रिया में सम्मिलित व्यवहार के यांत्रिकों की व्याख्या करने का प्रयास करते हैं । " " Theories of learning attempt to explain the mechanisms of behviour involved in learning process . S.S. Chauhan
सीखने के सिद्धान्तों को दो प्रमुख वर्गों में बाँटा जा सकता है 1. व्यवहारवादी सिद्धान्त ( Behaviourist Theories )
2. संज्ञानात्मक सिद्धान्त ( Cognitive Theories ) अधिगम के व्यवहारवादी सिद्धान्तों को अधिगम के सम्बन्धवादी सिद्धान्त ( Connectionist Theories ) भी कहते हैं तथा इस वर्ग के सिद्धान्त वस्तुतः सीखने की प्रक्रिया को उद्दीपक व अनुक्रिया के बीच सम्बन्ध या बंधन बनाने के रूप में स्पष्ट करते हैं । इसके विपरीत संज्ञानात्मक सीखने की प्रक्रिया में उद्देश्य , समझ तथा सूझ की भूमिका पर अधिक बल देते हैं । वस्तुतः सम्बन्धवादी सिद्धान्त मनोविज्ञान के व्यवहारवादी सम्प्रदाय से प्रभावित मनोवैज्ञानिकों के द्वारा प्रतिपादित किए गए हैं , जबकि संज्ञानात्मक सिद्धान्त गेस्टाल्ट सम्प्रदाय व संज्ञानात्मक मनोविज्ञान से प्रभावित मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं । प्रस्तुत चित्र से यह वर्गीकरण और अधिक स्पष्ट हो सकेगा—
सीखने के सिद्धान्त ( Theories of Learning )
1.पावलोव का अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धान्त (Pavlov's Conditioned Response Theory )
2. थार्नडाइक का उद्दीपक - अनुक्रिया अनुबन्ध सिद्धान्त
(Thorndike's S - R Bond Thory )
3. स्किनर का सक्रिय अनुबंधन सिद्धान्त ( Skinner's Operant Conditioning Theory )
4.कोहलर का सूझ सिद्धान्त
( Kohler's Insight Theory)
5. हल का सबलीकरण सिद्धान्त ( Hull's Reinforcement Theory )
6.लेविन का क्षेत्र सिद्धान्त ( Levin's Field Theory )
7.टॉलमैन का चिन्ह अधिगम सिद्धान्त ( Tolman's Sign Learning Theory )
अगली पोस्ट पावलोव का अनुकुलित अनुक्रिया का सिद्धांत की होगी।
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