प्रिय पाठक,

 विकास की अवधारणा एवं शिक्षा के साथ इसका संबंध:

➡️ विकास जैविक एवं मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों की ओर  इंगित करता है।➡️मनुष्यों में विकास की प्रक्रिया उनके गर्भाधान से शुरू होता है जो किशोरावस्था तक जारी रहता है।विकास की गति सदैव मनुष्य की निर्भरता से उनके स्वाबलंबी होने की स्थिति तक चलता रहता है। 

➡️ इसे मानव का बाहरी या पर्यावरणीय लक्षणों के साथ मानव के आंतरिक लक्षणों की प्रक्रिया के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। 

➡️वृद्धि शारीरिक मानसिक या संज्ञानात्मक भावनात्मक एवं सामाजिक जैसे चार क्षेत्रों में बच्चों का विकास है जो अध्ययन का केन्द्र-बिन्दु है।इसमें शारीरिक विकास व संज्ञानात्मक विकास पर बल दिया जाता है।

आयु से संबंधित विकास शब्द हैं :

नवजात शिशु (0 & 1 महीने की आयु),  (1 महीने से 1 वर्ष की आयु), 

नन्हा बच्चा (1 से 3 वर्ष की आयु), 

प्रारंभिक स्कूल जाने वाले बच्चे (4 से 6 वर्ष की आयु), किशोरावस्था (11 & 18 वर्ष की आयु)

बाल विकास में आयु सीमा एवं व्यक्तिगत मतभेद:

यद्यपि आयु&सीमा अपने & आप में कई तरह से एकपक्षीय हैं।जिस तरह से किसी मनुष्य में सामाजिक व्यवहारिक व बौद्धिक विकास होता है उसी तरह से अन्य में अलग गति एवं  दर से होता है गौरतलब है कि कुछ बच्चे अपने मुकाम को  सयम से पूर्व प्राप्त कर लेते हैं तो कुछ बाद में अपनी औसत आयु के अनुसार मुकाम तक  पहुँच पाते हैं ऐसी विविधता महत्वपूर्ण हो जाती है जब बच्चे अपनी औसत से बहुत अधिक विचलन प्रदर्शित करते हैं।

विकास के सिद्धांत:

मानव विकास में परिवर्तन शामिल है- यह परिवर्तन विकास के विभिन्न चरणों में होता है तथा प्रत्येक चरण में विकास के पैटर्न पर पूर्वानुमान करने के अभिलक्षण होते हैं।यद्यपि बच्चों के व्यक्तित्व में व्यक्तिगत अन्तर होते हैं परन्तु गतिविधियों के स्तर व विकास के लक्ष्यों को पाने का समय जैसे कि उम्र व चरण के सिद्धांतों व विकास के लक्षणों में सामान्य पैटर्न होते हैं विकास निम्न बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित होता है-

विकास एक सतत् प्रक्रिया है:--विकास तेज गति से नहीं होता है।वृद्धि गर्भाधान से शुरू होती है जो व्यक्ति के परिपक्वता तक जारी रहती है।यद्यपि विकास एक सतत् प्रक्रिया है फिर भी विकास की गति विशेष रूप से आरंभिक वर्षों में तेज होता है तथा बाद में यह मंद पड़ जाता है।यह किसी पैटर्न या अनुक्रम का अनुसरण करता है:-प्रत्येक प्रजाति चाहे पशु हो या मानव विकास के पैटर्न का अनुसरण करता है। विकास सिर से नीचे की ओरअग्रसर होता है।यह केन्द्र से बाहर की ओर भी होता है।

सामान्यता से विशिष्ट्ता की ओरः-विकास सामान्य से विशिष्ट व्यवहार की  ओर गति करता है।वृद्धि बड़े पेशीय गति से लेकर अत्यिधक छोटे पेशीय गति में होतीहै। उदाहरण के तौर पर कोई नवजात बच्चा किसी एक अंग में गति करने के बजाय अपने पूरे शरीर में गति करता है।वैयक्तिक वृद्धि एवं विकास की भिन्न भिन्न दरें:-  न तो  शरीर के सभी भाग एक ही समय में वृद्धि करते हैं और न ही  बच्चे की मानसिक क्षमता पूरी तरह  से विकसित होता है।वे भिन्न&भिन्न गति से परिपक्वता के स्तर को प्राप्त करते हैं।शारीरिक व मानसिक दोनों क्षमताएँ अलग&अलग उम्रों पर विकसित होते हैं।

विकास एक जटिल घटना है:- वृद्धि के सभी पहलु एक&दूसरे से निकटता से जुड़े होते हैं।किसी बच्चे का मानसिक विकास उसकी शारीरिक वृद्धि व आवश्यकताओं से बारीकी से सम्बंधित होते हैं।

विकास एवं व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले कारक:-  ईमानदारी से कहा जाये तो मनुष्य का व्यक्तित्व उनकी  आनुवंशिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक पर्यावरण का परिणाम है कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो इंसान में जन्मजात होती हैं।उन पर पर्यावरण का कोई असर नहीं पड़ता है।असल में मनुष्यों पर आनुवंशिकता का प्रभाव होता है जो वे अपने पूर्वजों से प्राप्त करते हैं तथा किसी चीज़के प्रति प्रदर्शित करते हैं 

एवं किसी निश्चित तरीके से कार्य करते हैं।

उदाहरण के तौर पर किसी निश्चित वस्तु के भार के प्रति उनकी प्रवृत्ति। इस प्रकार आनुवंशिकता व्यक्तिगत अंतर उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदाकरते हैं तथा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में अन्तर लाने के लिए समान  रूप से जिम्मेवार होता है।

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धन्यवाद !