प्रिय पाठक,
सीटीईटी और टीईटी परीक्षा के लिए पर्यावरण अध्ययन बहुत महत्वपूर्ण विषय है। सीटीईटी और टीईटी परीक्षा के लिए यात्रा एक महत्वपूर्ण टॉपिक है । हर साल इस टॉपिक से एक या दो प्रश्न पूछे जाते है । इस विषय पर प्रत्येक वर्ष विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाते रहे हैं । यहा यात्रा पर स्टडी नोट्स दे रहे है जो आप के लिए बहुत उपयोगी होगा ।
यात्रा के बारे में:
मनुष्य प्राचीन काल से यात्रा कर रहा है। सबसे पहले, उसने चलने के लिए अपने पैरों का उपयोग किया लेकिन पहिये के आविष्कार के बाद, मनुष्य ने एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए बैलगाड़ी का उपयोग प्रारंभ किया और धीरे-धीरे अन्य आविष्कार हुए जो मनुष्यों को यात्रा में सहायता प्रदान करते गए।
मनुष्यों की दूरस्थ भौगोलिक स्थानों के बीच आवाजाही को यात्रा के रूप में जाना जाता है। यह पैरों, साइकिल, मोटर-गाड़ी, रेलगाड़ी, नाव, बस, हवाई जहाज या अन्य साधनों द्वारा सामान के साथ या उसके बिना की जा सकती है, और यह एकतरफा या वापसी यात्रा भी हो सकती है। यात्रा में अनुक्रमिक आवाजाही में तुलनात्मक रूप से कुछ देर ठहरना भी शामिल हो सकता है।
यात्रा में, हमें नीचे दी गई बातों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
हमें परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है?
विशिष्ट स्थानों में विशेष प्रकार के परिवहन के साधन क्यों होते हैं?दूरस्थ क्षेत्रों में परिवहन कैसे संभव है?
मोटर परिवहन को कैसे प्रभावित करती है?
परिवहन का अविष्कार और महत्व:
हमें अधिक से अधिक सामान ले जाने के लिए बड़े वाहनों की आवश्यकता होती है।हवाई जहाज ने हमें दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंचने में सहायता की है।नदियों को पार करने के लिए एक पुल का निर्माण किया गया था।चट्टानों के पार जाने के लिए एक सुरंग बनाई गई थी।आप गोवा से केरल पहुंचने के लिए 92 सुरंग और 2000 पुल पार करेंगे।
परिवहन एवं मनोरंजन:
मनुष्य को दुनिया भर के विभिन्न स्थानों पर यात्रा करके पूरी दुनिया की विभिन्न संस्कृति, रीति-रिवाजों और परंपराओं का ज्ञान हुआ। उन्होंने परस्पर वार्तालाप के दौरान कईं वस्तुओं का आदान-प्रदान किया। कुछ महत्वपूर्ण वस्तुएं नीचे दी गई हैं:
भाषा- लोगों ने एक-दूसरे से भाषा सीखी और इस प्रक्रिया के दौरान नईं भाषाओं का जन्म हुआ।
रीति रिवाज- एक यात्री यात्रा करते समय अपने रीति रिवाज को दूसरे स्थान पर ले जाता है और यही कारण है कि आपको दुनिया के विभिन्न रीति-रिवाजों में समानताएं मिलेंगी।
नए विचार- जब हम नए लोगों से मिलते हैं और विचारों पर चर्चा करते हैं तो नए विचार उत्पन्न होते हैं और इन विचारों ने मानव के विकास में सहायता की है। ये नए विचार आविष्कार की नींव थे।
परिवहन के माध्यम:
मुख्य रूप से परिवहन माध्यम के तीन प्रकार हैं, अर्थात भूमि, जल और वायु परिवहन जिसमें रेल, सड़क और सड़क से अलग परिवहन शामिल हैं।
भूमि परिवहन: इसमें भूमि-आधारित सभी परिवहन प्रणालियां शामिल हैं जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही उपलब्ध कराती हैं। यह आमतौर पर शहरी क्षेत्रों में उपयोग की जाती हैं। यह विभिन्न समुदायों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने में सहायता करता है। इसके दो प्रमुख प्रकार हैं:
सड़क परिवहन: यह सड़कों का उपयोग होने वाले परिवहन का एक प्रकार है। सड़कों के माध्यम से आवाजाही बस, कार, बाइक या किसी अन्य मोटरगाड़ी या घोड़े, बैल जैसे जानवर द्वारा की जा सकती है।रेल परिवहन: इसे आमतौर पर रेल परिवहन के नाम से जाना जाता है। यह पटरी जिन्हें ट्रैक भी कहा जाता है पर चलने वाले पहियों के वाहनों पर यात्रियों और सामानों को ले जाने का माध्यम है।
जल परिवहन: इसमें जल-आधारित सभी परिवहन प्रणालियां शामिल हैं। उदाहरण के लिए, एक पोत, नौका, नाव, जहाज या पालनौका का जलीय निकाय जैसे समुद्र, महासागर, झील, नहर या नदी पर चलना। अंतरमहाद्वीपीय परिवहन, समुद्री शिपिंग के लिए जल के माध्यम से परिवहन वायु परिवहन की तुलना में कम महंगा है और तटीय क्षेत्रों में नौकायन अभी भी व्यवहार्य है।
वायु परिवहन: इसमें वायु-आधारित सभी परिवहन प्रणालियां शामिल हैं। उदाहरण के लिए हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर। यह परिवहन का सबसे तीव्र माध्यम है। यह गतिशीलता अधिक मूल्य और ऊर्जा उपयोग के साथ प्राप्त होती है, और परिवहन के माध्यमों की तुलना करते समय पर्यावरण, विशेष रूप से वैश्विक जलवायु पर विमानन द्वारा पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करने की आवश्यकता है।
भारत के विभिन्न राज्यों में परिवहन के साधन:
लद्दाख- यहां अनेक तालाब, नदियां तथा झीलें और घाटियां पाई जाती हैं, ये नदियां चौड़ी और गहरी होती हैं, इसलिए नदी पार करने के लिए नदी पर लोहे के समान मजबूत रस्सी होती है। जो दोनों तरफ, मजबूत पेड़ या चट्टानों से कसकर बंधी होती है। रस्सी से जुड़ी एक ट्रॉली (लकड़ी से बना एक खुला बक्सा) होती है।
केरल- केरल के कुछ भागों में वल्लम (लकड़ी की छोटी नाव) नदियों को पार करने के लिए प्रयोग की जाती है।
राजस्थान- राज्य में चारों तरफ रेत है जो दिन में बहुत गर्म हो जाती है। यात्रा के लिए यहां ऊंट गाड़ी का उपयोग किया जाता है।
गुजरात- यहां एक वाहन पाया जाता है जो विशेष होता है। इसका सामने का हिस्सा एक मोटर गाड़ी की तरह दिखता है लेकिन पीछे की गाड़ी लकड़ी के तख्ते से बनी होती है।
कश्मीर- यहां शिकारा कश्मीर के श्रीनगर की डल झील और अन्य जलीय निकायों पर पाई जाने वाली एक प्रकार की लकड़ी की नाव है।तटीय क्षेत्र- केरल के तटीय क्षेत्रों में परिवहन के साधन के रूप में फेरी (नाव) का प्रयोग किया जाता है।
परिवहन और इसके प्रभाव:
परिवहन ने मनुष्यों की बहुत सहायता की है लेकिन यह हानिकारक भी है। इसमें ऊर्जा का सर्वाधिक उपयोग होता है और दुनिया के अधिकांश पेट्रोलियम का उपयोग इसी में होता है। यह नाइट्रस ऑक्साइड और छोटे कणों सहित वायु प्रदूषण का कारण है, और यह कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। प्रदूषण परिवहन का परिणाम है।
1. प्रदूषण - विगत वर्षों में वाहनों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है फलस्वरूप गाड़ियों के शोर और उनसे निकलने वाले धुंए ने मानव की ज़िन्दगी में कौतुहल मचाया है यातायात से ये प्रदूषण दो रूपों में हुआ है
2. वायु प्रदूषण - वायु प्रदूषण का अर्थ है कुछ अनावश्यक तत्वों के वायु में मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना धुंआ छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि ने प्रदूषण को तेज़ी से बढ़ाया है वायु प्रदूषण के परिणाम बहुत घातक हैं क्यूंकि वायु का सीधा सम्बन्ध पृथ्वी पर जीवन से है लोग अशुद्ध वायु में सांस लेकर विभिन्न प्रकार की बिमारियों का शिकार हो रहे हैं शहरों में स्थिति खतरनाक सीमा को पार कर चुकी है
3. ध्वनि प्रदूषण - ये अत्यधिक शोर है जो मानव या पशु जीवन की गतिविधि या संतुलन को नुकसान पहुँचा सकता है. दुनिया भर में सबसे बाहरी शोर का स्रोत मुख्य रूप से परिवहन प्रणाली, मोटर वाहन, विमान, और गाड़ियों के कारण होता है. उच्च शोर का स्तर, मानव के हृदय प्रभाव में, रक्तचाप में वृद्धि, और तनाव और वाहिकासंकीर्णन में वृद्धि होती है, और कोरोनरी धमनी रोग की वृद्धि जैसी घटना में योगदान कर सकते हैं. पशुओं में, शोर, शिकारी या शिकार का पता लगाने और परिहार बदलकर मौत का खतरा बढ़ा सकता है, प्रजनन और नेविगेशन के साथ हस्तक्षेप, और स्थायी सुनवाई हानि के लिए योगदान करते हैं. भारत में ध्वनि प्रदूषण, दीवाली, नवरात्रि, और गणपति के त्योहारों के दौरान एक बड़ी समस्या है. भारत की सरकार ने पटाखे और लाउडस्पीकरों के खिलाफ नियम भी बनाए है, लेकिन प्रवर्तन बेहद सुस्त है. आवाज़ फाउंडेशन, एक भारतीय गैर सरकारी संगठन है, जो जनहित याचिका, जागरूकता, और शिक्षा अभियान के माध्यम से मुंबई में विभिन्न स्रोतों से ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 2003 से काम कर रहा है.
4. संसाधनों का दोहन - विगत कुछ दशकों में मनुष्य ने संसाधनों का दोहन बहुत तेज़ी से किया है जिस कारण कुछ संसाधन ख़त्म होने के कगार पर आ गए हैं मनुष्य को ज़रूरत है की वो धारणीय विकास(संसाधनों का उपयोग करते हुए उनका संरक्षण भी करना ) करे मानव को कोयला पेट्रोल जैसे संसाधनों के विकल्प(जैसे - सौर ऊर्जा, जल ऊर्जा आदि ) ढूँढ़ने चाहिए जिससे ये संसाधन भावी पीढ़ी के उपयोग के लिए भी बचे रह सकें
प्रमुख प्रश्न:
प्रश्न 1: पुल बनाने की ज़रुरत क्यों पड़ी ?:-
उत्तर- नदियों एवं तालाबों को पार करने के लिए
प्रश्न 2: पहिए से यातायात में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर- यातायात की गति तीव्र हो गयी
प्रश्न 3: सुरंगों से क्या लाभ हुआ?
उत्तर- सुरंग के बनने से मार्ग छोटे(शॉर्टकट ) हो गए
प्रश्न 4: यातायात से होने वाले नुक्सान को लिखिए?
उत्तर- प्रदूषण एवं संसाधनों का दोहन
प्रश्न 5:- वल्लम क्या है?
उत्तर- लकड़ी की बनी छोटी नाव होती है जो केरल में यातायात के लिए प्रयोग की जाती हैं
प्रश्न 6: फेरी क्या है ?
उत्तर- केरल के तटीय इलाको में फेरी (लकड़ी की बड़ी नाव) पायी जाती है जो यातायात के साधन के रूप में इस्तेमाल की जाती है ।
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धन्यवाद !
आपका दोस्त
अखिलेश कुमार
2 टिप्पणियाँ
जवाब देंहटाएंआप बहुत अच्छा लिखते हो में आपके ब्लॉग के और भी बहुत सारे लेख पढ़े है। में भी एक ब्लॉगर हूँ और कुछ लेख मैंने भी लिखे है, जो की इस प्रकार है, आप भी इन सभी लेखो को जरूर पढ़ें :
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आप बहुत अच्छा लिखते हो में आपके ब्लॉग के और भी बहुत सारे लेख पढ़े है। में भी एक ब्लॉगर हूँ और कुछ लेख मैंने भी लिखे है, जो की इस प्रकार है, आप भी इन सभी लेखो को जरूर पढ़ें :
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Thank you for your valuable response. Thank you so much.